नीता अंबानी : गरीबों की मसीहा
Success: नीता अंबानी को शुरू में सिर्फ अंबानी परिवार का हिस्सा समझा गया, जिन्हें संपन्नता विरासत में मिली थी। लेकिन अपने ऐश्वर्य और संपन्न जीवन को इन्होंने सामाजिक विकास के योगदान में प्रयोग किया। नीता अंबानी ना सिर्फ रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं बल्कि रिलायंस इंडस्ट्री की डायरेक्टर भी हैं। रिलायंस फाउंडेशन का प्रोग्राम भारत इंडिया जोड़ो एक ऐसा कदम है, जहां ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की परिकल्पना रची गई है। नीता अंबानी ने देश भर में 13 स्कूलों की शुरुआत की जहां करीब 15,000 जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाया जाता है। साथ ही बेसहारा, गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए अस्पतालों में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की भी शुरुआत की। नीता अंबानी ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार, बेटी शिक्षा जैसे सराहनीय कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं।
चंदा कोचर : सशक्तिकरण की नई उड़ान
जोधपुर, राजस्थान में जन्मी चंदा कोचर पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी रही हैं। कॉस्ट एकाउंटेंसी में सबसे ज्यादा नंबर पाकर गोल्ड मेडल पाने वाली चंदा ने तय कर लिया था कि उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचना है। आज वह देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई की मैनेजिंग डायरेक्टर एवं चीफ इक्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं। 1984 में वे इस बैंक से बतौर प्रशिक्षणार्थी जुड़ी थी, फिर अपने अथक प्रयास के बल पर 1994 में असिस्टेंट जनरल मैनेजर का पद संभाला। बैंक की कार्य योजनाओं में आमूल परिवर्तन कर उन्होंने आईसीआईसीआई को भारतीय बैंकों की कतार में सबसे आगे ला खड़ा किया। सन 2006 उनके करियर का बेहतरीन साल था, जब उन्हें डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर का पद दिया गया। उन्होंने जल्द ही सीईओ और एमडी का पद संभाल कर इस बैंक को ‘बेस्ट रिटेल बैंक इन इंडिया का अवार्ड दिला दिया। उनके जुझारू कार्यात्मक रवैए को देखकर कई महिलाएं उन्हें अपनी प्रेरणा स्रोत मानती हैं।
किरण मजूमदार शॉ : जुझारू जज़्बा
जब व्यवसाय के क्षेत्र में पुरुषों का बोलबाला था, तब किरण मजूमदार शॉ जैसी महिलाओं ने इस छवि को बदला। किरण ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद ऐसे क्षेत्र का चुनाव किया जिसमें महिलाएं न के बराबर थी। फरमेंटेशन साइंस की पढ़ाई करने वाली किरण ने जल्द ही पुरुषों वाले इस क्षेत्र में पहचान बना ली। यह पहचान तब सिर्फ उनके पहचान वालों तक ही सीमित थ॥ उनकी असली पहचान हुई ‘बायोकॉन बायोकेमिकल्स लि. के फाउंडर से मिलकर। जो किसी ऐसे भारतीय की तलाश में थे जो इस आयरलैंड की कंपनी को भारतीय बाजार में शुरू करवा सके। 1978 में अपने किराये के घर के गैराज में इन्होंने बायोकॉन इंडिया की शुरुआत की। प्रारंभ में अनेक मुश्किलों का सामना करने वाली किरण यह जान चुकी थी कि बायोकॉन को चलाना इतना आसान नहीं है। धीरे-धीरे ही सही उन्होंने इस कंपनी को एक शक्तिशाली कंपनी के रूप में खड़ा किया, जो अब ना सिर्फ केमिकल्स बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी काम करती है।
शोभना भरतीया : बिड़ला परिवार की महिला उद्यमी
देश के एक बड़े उद्यमी परिवार की बेटी शोभना भरतीया ने बिड़ला परिवार को एक स्त्रीशक्ति के रूप में परिभाषा दी है। हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप की चेयरपर्सन और एडिटोरियल डायरेक्टर के पद पर आसीन शोभना बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस की प्रो.-चांसलर भी हैं। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत मीडिया इंडस्ट्री से की। किसी राष्ट्रीय अखबार की वह पहली महिला चीफ एक्जीक्यूटिव थी। एचटी ग्रुप के एडिटोरियल विभाग के साथ-साथ वह इसका एकाउंट्स विभाग भी देखती हैं। कांग्रेस पार्टी से जुडऩे के बाद इन्होंने मीडिया के क्षेत्र को अधिक विस्तार दिया। इनकी कार्यशैली जितनी आधुनिक है, उतनी ही प्रगतिशील भी। विरासत में मिली कंपनी को शोभना ने खूब मेहनत से संवारा है।
निशी वासुदेवा : देश की शान
एशिया पेसिफिक क्षेत्र की सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में जानी जाने वाली निशी वासुदेवा किसी भारतीय तेल कंपनी का सर्वोच्च पदभार संभालने वाली पहली महिला हैं। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. की चेयरमैन एवं सीएमडी निशी ने अपने कार्यकाल में इस कंपनी को कई प्रकार से तरक्की दी। देश अपनी ऐसी प्रतिभाशाली बेटी पर गर्व महसूस करता है, जो देश की तरक्की में सहयोग करे।
कृतिघा रेड्डी : डिजिटल दीवा
महिलाओं के खेमे में उतर रेसलिंग के क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति दर्ज करवाने वाली गीता फोगट भारत की पहली रेसलर हैं जिसने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में वुमन रेसलिंग में गोल्ड मेडल जीता। वह ओलंपिक में भी क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। आमिर खान की आने वाली फिल्म ‘दंगल इन्हीं के जीवन पर आधारित है। जुझारू व्यक्तित्व को बनाने में उनके पिता रेसलर महावीर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान है। गीता की बहनें भी कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता हैं।
शिखा शर्मा : महिला शक्ति का सफल उदाहरण
भारत के तीसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक एक्सेस बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ शिखा शर्मा का व्यक्तित्व अपने आप में महिला शक्ति का एक सफल उदाहरण है। इनके कार्यकाल में एक्सेस बैंक में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिससे इनकी भारतीय बाजार में पैठ बनी। योजनाओं की सर्वश्रेष्ठ पद्धति ही शिखा शर्मा को अलग बनाती है।
चित्रा रामकृष्णा : अनुशासित व्यक्तित्व
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पहली महिला मैनेजिंग डायरेक्टर एवं चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर चित्रा रामकृष्णा को उनकी विशेष कार्यशैली के लिए जाना जाता है। प्रोफेशनल जिंदगी में अनुशासित व्यक्तित्व की स्वामी चित्रा रामकृष्णा की संगीत में भी गहरी रुचि है। उनकी उपलब्धियों की चर्चा केवल भारत ही में नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। उन्हें देश-विदेश से कई सम्मान भी मिले हैं। वह एशिया पेसिफिक क्षेत्र की ऐसी तीसरी महिला हैं जो स्टॉक, एक्सचेंज की प्रमुख हैं।
इंदिरा नुई : हौसलों की उड़ान
भारतीय मूल की इंदिरा नुई पेप्सिको की चेयरपर्सन एवं चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं। पेप्सिको विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। इंदिरा ने अपने अथक प्रयास से कंपनी के विदेशी उत्पादों को भारतीय बाजार में लोकप्रिय बनाया। अपनी दो बेटियों को भी इन्होंने सही मार्गदर्शन एवं सहयोग दिया। फोब्र्स ने इंदिरा को विश्व की तीसरी सबसे शक्तिशाली मां की सूची में भी शामिल किया है।
नैना लाल किदवई :पद्मश्री से सम्मानित
प्रसिद्ध ‘फोर्ब्स’ पत्रिका ने 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिला में नैना लाल किदवाई का नाम शामिल किया। नैना लाल हांगकांग एंड शंघाई (एचएसबीसी) बैंक की भारतीय शाखा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। उनके बेहतरीन कार्य के लिए ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ग्लोबल वुमेन लिस्ट में भी उन्हें शामिल किया है। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित नैना लाल हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला है। इसके अलावा वह भारत में किसी विदेशी बैंक का मार्गदर्शन करने वाली भी प्रथम महिला हैं। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने एचएसबीसी बैंक को एक नई ऊंचाई दी। देश के आर्थिक परिदृश्य और अर्थव्यवस्था में उनके अतुलनीय योगदान की वजह से उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। अपने आप पर भरोसा करके उन्होंने जो उपलब्धियां अर्जित की हैं वह काबिले तारीफ तो हैं ही साथ ही महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण भी हैं।
निरुपमा राव : देश की शान
निरुपमा राव भारत की उन गिनी-चुनी महिला ऑफिसरों में से एक हैं, जिन्होंने अपने कार्यक्रम में स्त्री शक्ति का बखूबी प्रदर्शन किया। 1973 बैच की इंडियन फॉरेन सॢवस आफिर निरुपमा यूएस में भारतीय एंबेसडर के रूप में भी कार्यरत रही हैं। राव भारत की दूसरी महिला फॉरेन सेक्रेटरी के रूप में भी जानी जाती हैं। साहित्य में गहरी रुचि रखने वाली निरुपमा ने अपनी कविताओं का एक संग्रह भी प्रकाशित करवाया है।
नीलम धवन : तकनीकी सोच
देश की टेक्नोलॉजी फार्म की पहली प्रमुख के रूप में जानी जाने वाली नीलम धवन सॉफ्टवेयर की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं। 2005 में वह विश्व की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में इंडिया हेड के रूप में शामिल हुई। 2008 में वह कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी ह्यूलेट पैकर्ड की प्रमुख बनी, जिसने भारतीय बाजार में कम दाम में अधिक सुविधा वाला कंप्यूटर उतारा। नीलम की तकनीकी सोच ने भारत में स्त्री सशक्तिकरण को नई परिभाषा दी
प्रीथा रेड्डी : कामयाबी का चेहरा
भारत के जाने-माने और एक बड़े निजी स्वास्थ्य सेवा केंद्र अपोलो हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रीथा रेड्डी एक जाना-पहचाना नाम है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट योगदान देने वाली प्रीथा रेड्डी की बहनें भी इस क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। सफलता के लिए कड़ी मेहनत को अपना मूलमंत्र मानने वाली प्रीथा रेड्डी का व्यक्तित्व उनकी सफल कार्यशैली का आईना है।
रेशमा शेट्टी : बॉलीवुड में बॉलीवुड में भविष्य निर्माता
बॉलीवुड में अपना भविष्य संवारने का सपना लिए आई नई प्रतिभाओं को संवारने निखारने का काम करती हैं रेशमा शेट्टी। मैट्रिक्स इंडिया एंटरटेनमेंट कंसल्टेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर रेशमा शेट्टी उन चंद लोगों में से एक हैं, जो मनोरंजन की दुनिया को नए चेहरे तराश कर देती हैं। नई प्रतिभाओं के व्यक्तित्व को संवारने वाली रेशमा बॉलीवुड में एक जाना-पहचाना नाम बन चुकी हैं।
गोदरेज ग्रुप की चीफ ब्रांड ऑफिसर एंड एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर तान्या दुबैश ने अपने उपभोक्ताओं को हेयर कलर से लेकर फ्रिज तक मुहैया कराया। उनका मकसद है कि कंपनी अपने उपभोक्ताओं में नई पीढ़ी को भी शामिल करे, साथ ही मुनाफे में भी वृद्धि हो। इसी मूलमंत्र ने उनकी कार्यशैली को औरों से अलग बनाया। साथ ही साथ वह एक सफल और सजग व्यवसायी भी हैं।
सायना नेहवाल : बुलंद हौसलों की मिसाल
हरियाणा के जाट परिवार की सायना नेहवाल देश के उस क्षेत्र की गौरव हैं, जहां बेटियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता है। उसी सरजमीन की आबोहवा बदलने वाली सायना नेहवाल आज भारत की सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। माता-पिता के सहयोग के बिना सायना ने बैडमिंटन की दुनिया में कदम रखा। अभी तक सायना द्वारा अॢजत मेडलों की सूची बहुत लंबी है लेकिन जिसने उन्हें विश्व विजेता बनाया, वह था ओलंपिक का पदक। आज वह भारत की ऐसी पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जो विश्व रैंकिंग में पहले स्थान पर है। अपनी सकारात्मक सोच और बुलंद हौसलों के बल पर सायना ने अपनी करियर में ऊंची उड़ान भरी है।
मैरी कॉम : नाज है जिस पर देश को
देश के हाशिए पर खड़े राज्य मणिपुर को पहचान दिलाई यहां की बेटी मैरी कॉम ने, वो भी ऐसे क्षेत्र में जहां अक्सर पुरुषों की भागीदारी होती है। पांच बार विश्व बॉक्सिंग चैंपियन रही भारत की एकमात्र महिला बॉक्सर हैं मैरीकॉम 2012 समर ओलंपिक की हिस्सा बनी और कांस्य पदक जीता। वह पहली भारतीय महिला बॉक्सर हैं जिन्होंने 2014 के एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। उनके जीवन पर बनी फिल्म ‘मैरीकॉम भी एक बड़ी उपलब्धि है। करियर के शुरुआत में कई मुश्किलों को पार मैरी कॉम आज भारत की बेहतरीन बॉक्सर के रूप में स्थापित हैं।
सानिया मिर्जा : टेनिस का चमकता सितारा
मात्र 29 साल की उम्र में टेनिस में पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाने वाली सानिया मिर्जा के करियर ग्राफ ने सफलता की अनेक सीढिय़ां चढ़ी हैं। वूमन डबल्स में नंबर एक पर रहने वाली सानिया मिर्जा ने खुद को अपनी कड़ी मेहनत के बल पर एक सफल भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। आलोचनाओं को अपनी ताकत बना कर जब सानिया टेनिस कोर्ट में उतरती हैं, तो पूरा देश गर्व से भर उठता है। विषम परिस्थिति में भी वे अपने खेल के प्रति दीवानगी को कम नहीं कर पाई और इस खेल में सफलता के शिखर पर जा पहुंची।
अरुंधती भट्टाचार्य : सशक्तिकरण का नया रूप
कोलकाता के कुलीन ब्राह्मण परिवार में जन्मी अरुंधती भट्टाचार्य देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑप इंडिया की पहली महिला चेयरपर्सन हैं। मात्र 22 साल की उम्र में वे एसबीआई में बतौर प्रोबेशनरी ऑफिसर जुड़ीं। अपने 36 साल के करियर में इन्होंने बैंक के साथ-साथ फॉरेन इक्सचेंज, ट्रेज़री, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग जैसे विभागों में भी काम किया। अरुंधती ने बैंक के तहत चलने वाली विभिन्न व्यापारिक योजनाओं को भी सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। इन्होंने महिला कर्मचारियों के लिए दो वर्षीय अवकाश की भी योजना शुरू की ताकि महिलाएं अपने बच्चे की देखभाल अच्छी तरह कर सकें। इन्हें 2015 में फो पत्रिका ने विश्व की 30वीं सबसे सशक्त महिला के रूप में चुना। बैंकिंग जगत में अरुंधती भट्टाचार्य ने सशक्तिकरण की नई तस्वीर प्रस्तुत की है।
जि़या मोदी : कॉरपोरेट जगत में सराहनीय योगदान
1956 में एक पारसी परिवार में जन्मी जि़या मोदी का’ एजेडबी एंड पार्टनर्स की मैनेजिंग डायरेक्टर बनने तक का सफर बहुत चुनौतीपूर्ण रहा। आज भारत की सबसे बड़ी लॉ फर्म के रूप में जानी जाने वाली कंपनी को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका अभूतपूर्व योगदान है। प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से करने के बाद उन्होंने हावर्ड लॉ स्कूल से मास्टर डिग्री की। न्यूयार्क स्टेट बार की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने 5 वर्षों तक न्यूयार्क सिटी की बेकर एंड मैकेंजी में काम किया। उनकी गिनती भारत के 100 सबसे शक्तिशाली सीईओ में भी की जाती है। कॉरपोरेट जगत में अपने सराहनीय योगदान की वजह से जि़या मोदी को कई सम्मानों से भी नवाज़ा जा चुका है।
मल्लिका श्रीनिवासन : प्रभावी बिजनेस लीडर
2014 में पद्मश्री सम्मान से नवाजी जाने वाली अमलगमेशंस ग्रुप की सिरमौर कंपनी टैफे की चेयरपर्सन ईओ मल्लिका श्रीनिवासन एशिया की 50 पावरफुल बिजनेस वुमन में भी शुमार की जाती हैं। यह भारत की सबसे प्रभावी बिजनेस लीडर्स में से एक हैं, जिन्होंने कम दाम में क्वालिटी ट्रैक्टर बनाकर दुनिया भर से प्रसिद्धि प्राप्त की है। ‘हॉर्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए करके मल्लिका ने इस क्षेत्र में कदम रखा। लीडरशिप क्वालिटी और उद्यमिता के लिए उन्हें बीबीसी ने ‘फर्स्ट बिजनेस वुमेन ऑफ ईयर अवार्ड फॉर इंडिया से नवाज़ा है। मात्र 27 साल की कम उम्र में टैफे में शामिल होकर उन्होंने कंपनी को कामयाबी की नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। अपनी कार्यपद्धति एवं सहज रणनीति की वजह से उन्होंने चंद वर्षों में कंपनी का टर्न ओवर 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर कर दिया है। अनेक चुनौतियों का सामना करके मल्लिका ने सकारात्मक परिवर्तन किए। उद्योग में बड़ी उपलब्धि के साथ-साथ समाज सेवा में भी मल्लिका का योगदान सराहनीय है।
निसाबा गोदरेज : बेहतर कार्यशैली नया मुकाम
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर निसाबा गोदरेज बहुत कम उम्र में अपने पिता आदि गोदरेज की कंपनी गोदरेज ग्रुप में शामिल हुई। ऊर्जा से भरपूर निसाबा, जिसे निसा के नाम से भी जाना जाता है, ने अपनी नई कार्यशैली की वजह से गोदरेज की एफएमसीजी पोर्टफोलियो को नया मुकाम दिया। उनकी कार्य रणनीति ने मार्केट में कंपनी के उत्पादों को लोकप्रिय बनाया। हावर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़ी निसाबा को यूं तो कामयाबी विरासत में मिली है लेकिन अपनी लगन और मेहनत के साथ-साथ सकारात्मक सोच से उन्होंने इस कामयाबी को कंपनी के उत्थान में लगा दिया। उनकी इसी युवा शक्ति से कंपनी अपने उत्पादों को बेहतरीन तरीकेसे अपने उपभोक्ताओं तक पहुंच रही है।
सुमित्रा महाजन : उम्र को पीछे छोड़ता जज़्बा
हमारे देश में जहां महिलाएं उम्र के 60वें दशक में पहुंचकर शिथिल पड़ जाती हैं, वहीं आज सुमित्रा महाजन 72 साल की उम्र में भी अपनी फुर्तीली कार्यशैली के लिए जानी जाती हैं। 16 वीं लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं। संगीत, नाटक, सिनेमा में भी गहरी रुचि रखने वाली सुमित्रा महाजन संसद की 16वीं लोकसभा एमपी की सूची में महिला सदस्यों में सबसे वरिष्ठ सांसद हैं।
विनीता बाली : कर्मठता की मिसाल
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज की मैनेजिंग डायरेक्टर विनीता बाली ने अपने चंद वर्षों के कार्यकाल में कंपनी की रेवेन्यू को तीन गुना कर दिया है। ब्रिटानिया न्यूट्रीशन फाउंडेशन का आगाज करने वाली विनीता की बाल कुपोषण को खत्म करने की दिशा में भी अहम भूमिका है। उनको उनकी सामाजिक गतिविधियों की वजह से भी सम्मानित किया गया है।