मिर्च का प्रयोग दाल, सब्जी को स्वादिष्ट बनाने के लिए भी किया जाता है। लेकिन मिर्च का अधिक प्रयोग पेट में जलन पैदा करता है, इसलिए किसी भी उपयोगी वस्तु का प्रयोग उचित मात्रा में ही करना चाहिए। लाल मिर्च में एक विशेष प्रकार की तेज होती है। इसको पीसने अथवा घी या तेल आदि में छौंक लगाते समय इससे तेज गंध निकलती है। जो सांस के साथ नाक में जाकर परेशान करती है। मिर्च की यह तेज गंध अनेक प्रकार के विषों को दूर करने में सहायक सिद्ध होती है। 

 

ऐसे करें लाल मिर्च से उपचार –

  • कुत्ते के काटने से शरीर में एक विशेष प्रकार का विष पैदा हो जाता है। यदि उसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो रोगी को हाइड्रोफोबिया हो जाता है। इसलिए कुत्ते के काटे हुए स्थान पर पिसी हुई लाल मिर्च लगाने से कुत्ते का काटा हुआ दर्द समाप्त हो जाता है। कुत्ते के काटने पर पिसी हुई लाल मिर्च को किसी भी खाने वाले तेल में मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है।
  • लाल मिर्च खाने में बहुत तेज और कड़वी होती है। उसका निगलना कठिन होता है। इसे खाने पर आंखों में पानी आ जाता है। जिस व्यक्ति को सांप ने काटा हो, उसे यदि कड़वी से कड़वी मिर्च खाने को दी जाए तो कड़वापन अनुभव नहीं होता। और इससे राहत मिलती है।
  • बरसात के दिनों में बहुत से बच्चों को फोड़े-फंसियां निकल आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे गंदे पानी में स्नान करने से फोड़े-फुंसी के शिकार हो जाते हैं। लाल मिर्च को सरसों के तेल में भली प्रकार पकाएं। जब मिर्च का पानी समाप्त हो जाए तो उसे छानकर एक शीशी में भर लें और इस फोड़े, फंसी, दाद, खुजली तथा अन्य त्वचा के रोगों में लगाने से लाभ होता है।
  • अनेक लोग जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो वह प्रायः बीमार रहने लगते हैं। इसका कारण यह बताया गया हैं कि वहां के पानी से उन्हें हानि हुई है। ऐसी स्थिति में लाल मिर्च को पीसकर उसमें थोड़ा नमक डालकर बारीक चटनी के रूप में भोजन के साथ खाने से गंदे पानी से होने वाले रोग समाप्त होते हैं इसके साथ-साथ भोजन में रूचि बढ़ती है।
  • मिर्च में विटामिन ‘ए’ ‘सी’ और ‘ई’ भी काफी मात्रा में पाया जाता है। शरीर के शिथिल हुए अंगों में एक विशेष प्रकार की उत्तेजना पैदा होती हे। जिससे कमर दर्द, गठिया सम्बन्धी सूजन और दर्द आदि दूर होते हैं। इस प्रकार के रोगों में मिर्च एक टाॅनिक के रूप में काम करती है।
  • हरी मिर्च को सलाद के साथ भी खाने का रिवाज है। चाट या सब्जी आदि में बहुत से लोग बारीक कटी हुई हरी मिर्च खाते हैं। इससे भूख बढ़ाने में सहायता मिलती है।
  • लल मिर्च विटामिन ‘सी’ और विटामिन ‘ए’ के कारण जहां अन्य अनेक लाभ पहुंचाती है, वहां इससे रतौंधी दूर होने में भी सहायता मिलती है।
  • होम्योपैथी में लाल मिर्च से एक दवाई बनती है, जिसका उपयोग हैजे, बदहजमी, कफ वाली खांसी, मिरगी और पागलपन के दौरों में किया जाता है।

लाल मिर्च से बर्तें सावधानी

किसी भी उपयोगी वस्तु का अधिक मात्रा में उपयोग हानि पहुंचाता है। अधिक लाल मिर्च अथवा मसालेदार भोजन करने से पेट में फोड़ा हो सकता है। और आंताें में जलन पैदा हो सकती है। इसीलिए आवश्यक है कि लाल मिर्च का प्रयोग उचिता मात्रा में किया जाए।

(साभार – डॉ. राजीव शर्मा) 

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