फिल्म और थियेटर की एक्ट्रेस राधिका आप्टे ने हिन्दी, बंगाली, मराठी, तेलुगू और तमिल की फिल्मों में काम किया है। साल 2005 में फिल्म ‘वाह! लाइफ हो तो ऐसी’ से अपने करियर की शुरूआत करने वाली राधिका ने हाल ही में नवाजुद्दीन सिद्दीकी  के साथ ‘मांझी- द माउटेन मैन’ में काम किया है।  पूना की रहने वाली राधिका एक्टिंग और डांस के साथ ही इकोनॉमिक्स और मैथमैटिक्स (गणित) में ग्रेजूयेट है। 

1. आपकी आने वाली फिल्म ‘फोबिया’ किस तरह की फिल्म है?

यह फिल्म एक सायकोलाॅजिकल थ्रिलर है। इसमें एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी ज़िन्दगी में एक हादसा होता है और वह एग्रोफोबिया की शिकार हो जाती है। एग्रोफोबिया में इन्सान घर की चार दिवारी में रहना चाहता है, घर से बाहर निकलते ही उसे पैनिक अटैक आने लगते हैं।

2. इस तरह के किरदार को करने के लिये कुछ होमवर्क किया?

जी बिल्कुल। महक का किरदार काफी काम्पेक्स है। इसे समझने के लिए मैं कई न्यूरो सर्जन्स और सायकोलॉजिस्ट से मिली। इस डिसआर्डर के बारें में जानकारी ली। मेरे दो करीबी दोस्तों को भी एग्रोफोबिया है। मैंने उनसे भी मिलकर बातचीत की, उनसे भी काफी मदद मिली। कई ऐसे वीडियों क्लिप्स देखे जिसमें पैनिक अटैक के बारें में दिखाया गया है। काफी रिचर्स किया, फिर फिल्म की शूटिंग किया।

3. आपको खुद रियल लाइफ में कोई फोबिया है?

नहीं, मुझे किसी चीज का फोबिया नहीं है। बस मुझे प्लेन में सफर करना पसन्द नहीं है, मुझे एरोप्लेन में ट्रैवल करना बहुत मुश्किल लगता है। इसलिए टेकऑफ के समय मैं कोई ऐसी बुक पढ़ती हूं जो मेरा ध्यान दूसरी तरफ कर दें। हां, इसके लिए किताब इतनी एक्साइटिंग होनी चाहिए कि मुझे पता ही न चले कि कब लैंडिंग हो गई।

4. आपको एक्टिंग के अलावा किस चीज का शौक है?

मुझे घूमने का शौक है। मैं अलग-अलग देशों में जाना चाहती हूं, मुझे अपनी कन्ट्री में नयी-नयी जगह देखने का शौक है। मैं अभी तक अनगिनत जगहों पर जा चुकी हूॅं। हर जगह का अपना-अपना चार्म है, सबकी अलग कल्चर है, अलग खाना है। मैं हर जगह जाकर वहां की कुछ बातें सीखने की कोशिश करती हूॅं। मुझे खाने का भी बहुत शौक है, मैं एकदम फूडी हूं जो कि शायद इस फिल्म प्रोफेशनल के लिये सही नहीं है। मैं सब तरह का खाना पका लेती हॅं खासकर डेज़र्ट्स।

5. आपको फिल्मों में काम करने में ज्यादा मजा आता है या थियटर में?

नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। फिल्म हो या थियेटर, प्रोजेक्ट अच्छा होना चाहिए। यह प्रोेेजेक्ट टू प्रोजेक्ट डिपेन्ड करता है। एक्टिगं तो दोनों में करनी होती है लेकिन अगर प्रोजेक्ट बोर हो तो कुछ मजा नहीं आता।

6. आपका कोई आइडियल है जिसे देखकर आप आगे बढ़ना चाहती हैं?

नहीं, मेरा कोई एक आइडियल नहीं है। हां, मैं बहुत से लोगों से प्रेरित होती रही हूं। मुझे कई हॉलीवुड स्टार ने प्रेरित किया है। यहाॅं तक की मैं आम आदमी से भी प्रभावित होती हूॅं, राह चलते इन्सान की भी कोई अच्छी बात मुझे प्रभावित कर जाती है।

7. आपने कई भाषाओं में फिल्में की हैं। कितना मुश्किल होता है अलग-अलग भाषाओं में काम करना?

हाॅं, जो भाषा आपको आती है उसमें काम करना थोड़ा आसान होता है, अगर भाषा नहीं आती हो, तो डायलॉग पर ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अच्छी एक्टिंग ना कर सकूं इसका भी डर रहता है। साउथ की फिल्मों में काम करना तो बहुत कठिन है क्योंकि वहां डायलाॅग भी लास्ट मोमेंट पर दिये जाते हैं।

8. फिटनेस के लिये क्या करती हैं?

फिटनेस के लिये मैं दौड़ती हूं, साथ ही मैं योगा भी करती हूं। विशेषकर सूर्यनमस्कार करना मुझे अच्छा लगता है।