Ramman
Ramman

Ramman: कोरोना के कारण दो साल बाद उत्तराखंड के चमोली जिले के सलूड़ गांव में लगभग 500 साल पुराने सांस्कृतिक रम्माण मेले का आयोजन हुआ। रम्माण मेला इस बार 11 दिनों तक मनाया गया। समापन 27 अप्रैल को हुआ। रम्माण मेला विविध कार्यक्रमों, पूजा और अनुष्ठानों की एक श्रृंखला है। इसमें सामूहिक पूजा, देवयात्रा, लोकनाट्य, नृत्य, गायन, मेला आदि विविध रंगी आयोजन होते हैं। यह भूम्याल देवता के वार्षिक पूजा का अवसर भी होता है। रम्माण में मुखौटा नृत्य शैली का उपयोग किया जाता है। इसमें नृत्क अपने मुख पर मुखौटा पहनकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। रम्माण के आखिरी दिन रामायण के प्रसंगों को नृत्य के जरिए प्रदर्शित किया जाता है।

गौरतलब है कि यूनेस्को की ओर से रम्माण को 2009 में वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया। रम्माण के आयोजन में 7 जोड़े पारंपरिक ढ़ोल दमाउ की थाप पर नृत्य करते हैं।

अंत में भूमि क्षेत्रपाल देवता अवतरित होकर एक साल के लिए अपने मूल स्थान पर विराजित हो गए। रम्माण मेला कभी 11 तो कभी 13 दिनों तक भी मनाया जाता है। रुद्रप्रयाग जनपद की मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव में सदियों पुरानी परम्पराओं को ग्रामीणों ने अब भी जीवित रखा है। रम्माण उत्सव की खासियत ये है कि इसमें रामायण पाठ किया जाता है लेकिन बिना संवादों के गीतों, ढोल और ताल पर मुखौटा शैली पर रामायण का मंचन होता है।

Leave a comment