रात आधी से कुछ ज्यादा जा चुकी है। बँगले के अन्दर जितने आदमी हैं सभी बेहोशी की नींद सो रहे हैं क्योंकि हरदेई ने जो बेहोशी की दवा खाने की वस्तुओं में मिला दी थी उसके सबब से सभी आदमी (उस अन्न के खाने से) बेहोश हो रहे हैं। हरदेई एक विश्वासी लौंडी थी और […]
Author Archives: बाबू देवकीनन्दन खत्री
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